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सुधर जाओ (पूरी कहानी)

keh le jo kehna hai
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सुधर जाओ (भाग-1)

रांची सिटी हॉस्पिटल में अभी-अभी एक पेशेंट लाया गया , जिसकी उम्र 50 के आसपास होगी , शरीर में 6 गोलियां और खून उसके कपड़ों से लेकर फर्श तक बहा जा रहा था , उसके साथ जो आये थे , उनके माथे पर शिकन और चिंता के भाव सपष्ट रूप से नज़र आ रहे थे , हॉस्पिटल में हर कोई जानता था कि वो ज़ख़्मी पेशेंट और कोई नहीं बल्कि रांची शहर का दादा निशांत है।
कहानी अग्निपथ फ़िल्म के हीरो अमिताभ जैसी लग रही है न , पर है नहीं , आगे पढ़िए।
निशांत के साथ आये उसके सबसे जिगरी दोस्त विनोद ने वहां खड़े वार्ड बॉय से कहा , ज़रा डॉक्टर मधुमिता सेन को बुलाइये , वही इलाज करेंगी।
वार्ड बॉय तुरन्त डॉक्टर मधुमिता सेन को बुलाने के लिये भागा।

डॉक्टर डॉक्टर वो दादा निशांत को गोलियां लगी हैं जल्दी चलिये , वो अभी आइ सी यू में है , खून बहुत निकल गया है। वार्ड बॉय ने कहा , तो डॉक्टर मधुमिता का चेहरा एकदम पीला पड़ गया , मधुमिता ने वार्ड बॉय से कहा तुम जाओ और ऑपरेशन की तैयारी करो।
डॉक्टर मधुमिता तुरन्त भागी , वो इस रफ़्तार से शायद कभी नहीं भागी होंगी , अपनी जवानी में भी नहीं , वो ऐसे जा रही थी जैसे उनका कोई अपना हो निशांत।
वो बिना रुके आइ सी यू पहुंची तो देखा , निशांत का शरीर लाल रंग में रंग चुका है , जैसे सारे रंगों से दुश्मनी कर ली हो निशांत ने और लाल रंग ही उसका सबसे पक्का दोस्त है।
तुरंत निशांत को ऑपरेशन थिएटर ले जाया गया , आइ सी यू में खून का बहाव रोका गया था, कोशिश की गयी थी के जब तक निशांत को ऑपरेशन थिएटर न ले जाया जा रहा हो उसका खून रोका जाये।
निशांत की आँखें एकदम भारी , जैसे जिंदगी भर की यादों का एल्बम उसकी पलकों पर हो।
निशांत मेरी तरफ़ देखो , मैं मधुमिता , तुम्हारी…….……………
मधुमिता रुक गयी शायद वो अपने और निशांत के रिश्ते का नाम सोच रही थी , फ़िर बोली डॉक्टर , मेरी आँखों में देखो निशांत सब ठीक हो जायेगा।
निशांत की आँखें कुछ देख रही थी तो सिर्फ़ धुंधलापन , कभी अगर साफ़ दिखायी पड़ता तो उसको दिखाई पड़ती डॉक्टर मधुमिता , और उसका फ़िक्र से भरा चेहरा।
मधुमिता ने निशांत का वो हाथ थामा हुआ था , जो उसे शायद काफी पहले थाम लेना चाहिए था।

कहानी में थोड़ा फ़्लैश बैक लेते हैं ,

बात करते हैं तबकी जब निशांत ग्यारहवीं कक्षा में था और अपने स्कूल में सबसे दबंग , दबंग भी तो क्या , एकदम बदमाश और सनकी , एक बार जो मन किया करने का तो करके ही छोड़ना है।
बिशप गर्ल्स स्कूल के बाहर खड़े निशांत और विनोद किसी का इंतज़ार कर रहे हैं।
निशांत के एक हाथ में सिगरेट है और दूसरे में कोल्ड ड्रिंक की बोतल , अपनी नई बाइक पर बैठा निशांत विनोद से बोला , अबे कहाँ है बे वो , तुम तो यही स्कूल बताये थे साले , देख बे नहीं दिखी न तो साले सारे दांत तोड़ देंगे तुम्हारे बता रहे हैं हम तुमको।
अरे आती होगी यार , अब मैंने थोड़ी ठेका ले रखा है उसका। विनोद ने निशांत को कहा।
अबे अब तो तुम्हीं ने लिया है , साले। निशांत ने विनोद की बात को खारिज कर दिया।
अबे वो देख वो देख , आ गयी। विनोद ने निशांत को हिलाते हुये कहा और एकदम उत्साहित।
निशांत ने जैसे ही नज़र फिरानी चाही , उसके सर पर एक थप्पड़ फिरा दिया किसीने।
निशांत के हाथ से सिगरेट अलग और कोल्ड ड्रिंक अलग जाकर गिरी।
तेरी माँ का साला कौन है बे , निशांत ने कुछ शब्द कहे और कुछ उसके मुँह में ही रह गये जब उसने देखा कि उसको थप्पड़ किसने मारा है।
सालों और कोई काम नहीं है , पढ़ने की उम्र है और छोरियां ताड़ रहे हो , वहाँ ख़ड़े पुलिस वाले ने कहा , जिसने अभी निशांत को एक थप्पड़ रसीद कर दिया था।
अरे सर वो हम तो बस , ऐसे ही , सर बस सॉरी सर , विनोद ने कुछ बात करने की और सँभालने की कोशिश करी।
तो पुलिस वाले सर ने कहा चलो निकलो यहाँ से अबकी बार दिखे तो ख़ैर नहीं तुम दोनों की , अरे पढ़ो बेटा जाके।

निशांत गुस्से में था सारा गुस्सा उसकी लाल आँख़ें बता रही थी , पर उसने अपने मन में गुस्सा दबाया और विनोद से कहा चल बे निकल यहॉँ से।
निशांत ने अपनी बाइक स्टार्ट की और वहाँ से निकल गया।
शाम को वो विनोद की कोचिंग के बाहर खड़ा था , विनोद ने देखा तो कहने लगा अबे क्या करने आया है इधर , साले मरवाएगा क्या मुझे।
अबे मैं तुझे नहीं उसे देख़ने आया हूँ , साला देख नहीं पाया मैं , उस पुलिस वाले की तो , छोड़ उसको , तू ये बता , आती कब है वो ?
निशांत ने बड़ी बेचैनी भरा सवाल विनोद से किया।

आएगी अभी , टाइम नहीं हुआ है , 5 बजे है उसकी क्लास केमिस्ट्री की। विनोद ने बताया।
निशांत ने तुरन्त अपनी घड़ी देखी तो 5 बजने में 5 मिनट हैं।
निशांत के वो 5 मिनट अब बहुत लम्बे हो चले हैं , कहते हैं न प्यार में इन्तज़ार लंबा ही लगता है , आपको हर पल भारी लगता है।
घड़ी में 10 बार देख चुका था निशांत , पर ये 5 नहीं बज रहे थे।

आखिर में 5 बजे तो निशांत की निगाहें कोचिंग के गेट पर चिपक गयी।
मैं आपको बता दूँ कि निशांत ने अभी तक एक बार भी उस लड़की के दर्शन तक नहीं किये हैं , वो तो बस विनोद की बात पर ही फ़िदा हो चला था।
विनोद बोला वो देख आ गयी मधुमिता।

निशांत, विनोद की कही बातों को सोचने लगा , लम्बे बाल , मधुमिता को देखा तो वैसे ही हैं , गोरे से प्यारे हाथ , वैसे ही हैं , लम्बा सा कद , बिल्कुल वैसा ही है , मेरे साथ खड़ी होगी तो जचेगी , गुलाब की पंखुड़ियों जैसे होंठ , और चेहरा तो उफ्फ्फ हाय अल्लाह ख़तरनाक़ , मार ही ड़ाले , इतना प्यारा की , प्यार भी चुम्मा लेले।
हूबहू विनोद की कही बात जैसी , शायद उस से भी बेहद अच्छी है मधुमिता।

विनोद से निशांत ने कहा बच गया तू , वरना गया था तू आज , मुझे प्यार हो गया है यारों।
मधुमिता जा रही थी तो निशांत ने अपनी बाइक से ही चिल्लाकर कहा , मधुमिता , बहुत अच्छी लग रही हो।
विनोद अपना चेहरा छुपाने लगा और मधुमिता निशांत के करीब आने लगी।
मधुमिता करीब आई तो निशांत को लगा कि थैंक्स कहेगी , पर मधुमिता ने कहा , सुधर जाओ।

सुधर जाओ (भाग-2)

मधुमिता ने ये कहा और वापस जाने लगी , तो निशांत ने जवाब में कहा , अब तो तुम ही सुधार दो , तुम्हें देख के तो मैं खुद नहीं सुधरने वाला, और बिगड़ने लगूँगा , मधुमिता।
मधुमिता ने घूम कर निशांत को देखा, दोनों की नज़रों में एक दूसरे का अक्स, निशांत की आँखों में मधुमिता की ज़ुल्फ़ें , उसका प्यारा चेहरा पर गुस्से से लाल और मधुमिता की आँखों में निशांत के होठों पर एक मासूम नटखट मुस्कान , जैसे मधुमिता से कह रहा हो कि अब तुम मुझसे बचके नहीं जा सकती , अब तुम सिर्फ़ मेरी हो।
मधुमिता कोचिंग चली गयी , विनोद ने निशांत से कहा , यार मैं भी चलता हूँ बाद में मिलता हूँ , और विनोद भी अन्दर चला गया।
निशांत मुस्कुराता हुआ चला गया वहाँ से।
अगले दिन , शाम 5 बजे निशांत विनोद की कोचिंग पहुँच गया , मधुमिता आज फ़िर दिखी उसे , आज उसके बाल बंधें हुये थे , पीली टी-शर्ट, ब्लू जीन्स और चेहरे पर मुस्कान थी पर जैसे ही मधुमिता ने निशांत को देखा तो उसकी मुस्कान हवा हो गयी। वो सीधा दनदनाते हुए अपनी क्लास में चली गई। कुछ मिनट बाद कोचिंग का मालिक सिंह , निशांत को केमिस्ट्री की क्लास में ले आया , मनोज सर जो केमिस्ट्री पढ़ाते थे , उनसे मालिक सिंह ने कहा की ये नया लड़का है इसे भी बैठाओ और पढ़ाओ।
मनोज सर ने कहा , बेटा तुम्हारा नाम क्या है ?
निशांत है सर। निशांत ऐसी जगह जाके बैठा जहाँ से मधुमिता उसको साफ़ नज़र आये।

अब निशांत को पूरा मौका मिल गया था , मधुमिता को देखने का , वो बराबर उसको देख रहा था , मधुमिता भी डिस्टर्ब हो रही थी , अपनी कोचिंग क्लास में उसकी सबसे अच्छी केमिस्ट्री है पर आज शायद न हो , मनोज सर ने मधुमिता की तरफ़ देखा तो मधुमिता निशांत की तरफ़ देख रही थी तो सर ने कहा मधुमिता ज़रा वाशिंग सोडा का फार्मूला तो बताना ?
जी जी सर फार्मूला होता है , ……. मधुमिता सोच में पड़ गयी , आजतक उसे कभी इतनी देर नहीं लगी पर आज निशांत था तो कुछ तो होना ही था।
अब तो ये रोज़ होने लगा , मधुमिता को आता सब था पर जब भी वो निशांत की चाहत भरी आँखों में देखती , वो सब भूल जाती , उसने सोचा कि वो निशांत से बात करेगी , वो कोचिंग के बाद निशांत के पास गयी तो देखा निशांत सिगरेट पी रहा है , तो वो बिना कुछ कहे वापस चली आई , उसको सिगरेट पीता देख उसको हमेशा अपने मरे हुए पापा की याद आती , सिगरेट की वजह से हुए कैंसर की वजह से उसके पापा की मौत हुयी थी।
निशांत ने कोचिंग के रजिस्टर में से मधुमिता का फ़ोन नंबर निकाल लिया था और रात में 8 बजे उसको फ़ोन लगा दिया।
नंबर तो निशांत के पास काफी दिनों से था पर उसकी हिम्मत नहीं होती थी के वो मधुमिता को फ़ोन लगा ले। पर आज उसके दोस्तों ने उसको शराब पिलाई तो वो थोड़ा जोश में आ गया , पहली बार शराब का सेवन करने वाला निशांत अब मधुमिता से बात करना चाहता था , उसने नंबर मिला दिया , घंटी जाने लगी , मधुमिता ने फ़ोन उठाया और कहा हैलो।
फ़ोन पर भी कितनी मीठी आवाज़ है तुम्हारी मधु , नशे में निशांत बोला।
अरे तुम हो कौन ? मधुमिता ने पूछा।
अरे तुम भूल गयी मुझे ऐसे कैसे रोज़ तो मेरी वजह से फॉर्मूले भूलती हो।
निशांत , तुम , नम्बर कैसे मिला तुमको , मधुमिता को जब ये पता चला की निशांत है फ़ोन पर तो वो और घबरा गयी।
हाँ मैं , देखो आज से मधु ही हो तुम मेरे लिए , पर तुम बात तो करो। निशांत नशे में बोला जा रहा था।

क्या बात करनी है तुम्हें , अभी तुम नशे में हो, होश में नहीं हो। मधुमिता ने कहा।
अरे होश में होता हूँ तो हिम्मत नहीं होती तुमको फ़ोन करने की , अभी ठीक है , बात तो हो रही है न , सोच रहा हूँ , रोज़ शराब पीया करूँ , तुमको फ़ोन तो मिला पाउँगा।
मधुमिता ने फ़ोन काट दिया।
निशांत हसने लगा और कहा यारों थोड़ी और पिला दो।
इश्क में ख़ुशी और गम दोनों वक्त में आशिक शराब का सहारा लेते हैं , कहते हैं न नशा सबसे बड़ा इश्क है और उसी नशे में रहने के लिए लोग थोड़ा और नशे में रहते हैं।
खैर नशा करना बुरी बात है और आगे की कहानी।
कुछ दिन ऐसे ही बीते , मधुमिता कोचिंग नहीं आई तो निशांत रात को उसके हॉस्टल पहुँच गया , साथ में विनोद भी था , रात के 9 बजे का अँधेरा था और गेट पर गार्ड खड़ा।
विनोद बोला चल बाद में आएंगे।
निशांत ने कहा रुक बे , आज बात करके ही जाऊँगा।
निशांत ने मधुमिता को फ़ोन लगा दिया, मधुमिता ने फ़ोन उठाया तो निशांत ने गुस्से में कहा की , मधु कहाँ हो तुम ?
मधुमिता ने कहा मैंने कोचिंग छोड़ दी है , अब मैं वहाँ नहीं जाती।
क्यों मधु ? निशांत ने कहा।
तुम्हारी वजह से , जब भी तुम्हें देखती हूँ तो पढ़ नहीं पाती , मैं पढ़ना चाहती हूँ। मधु ने कहा।
निशांत ने कहा कि ठीक है मैं नहीं आया करूँगा वहाँ वैसे भी मेरा कॉमर्स है , केमिस्ट्री से मेरा कुछ होगा भी नहीं , वैसे वाशिंग सोडा का फार्मूला पता है मुझे।
क्या है ज़रा बताना , मधु ने पूछा।
Na2CO3 10H2O , निशांत ने जवाब दिया।
हम्म्म्म सही है , मधु ने भी हामी भर दी, फिर कुछ देर बाद बोली पर मैं तुमसे बात नहीं कर सकती।
निशांत का गुस्सा जो अभी थोड़ी देर पहले शांत हुआ था , वापस नाक पर बैठ गया , क्यों नहीं कर सकती ?
तुम सिगरेट पीते हो , पान मसाला खाते हो , गुंडे जैसे रहते हो , मुझे ये सब पसंद नहीं , सुधर जाओ। मधु ने अपनी बातें निशांत को बताई जैसे कोई रिश्ता शुरू होने से पहले की शर्तें हों।
मैं नहीं सुधर रहा , तुझे जो करना है कर ले। निशांत ने भी अपना मन मधु को बता दिया।
हाँ तो मैं भी नहीं मिलने वाली तुम्हें , ये सोच लो , सुधर जाओ तब बात करते हैं , ये बोलते ही मधु ने फ़ोन काट दिया।

निशांत को बहुत गुस्सा आया वो हॉस्टल गेट के पास गया और चिल्लाने लगा , मधु तुम मेरी हो , मैं तुम्हें पाकर रहूँगा , पर इसके लिए तुम मुझे बदल नहीं सकती। गार्ड ने पुलिस को फ़ोन लगा दिया , साहब यहाँ कुछ लौंडे बदमाशी कर रहे हैं जल्दी आइये।
2 मिनट में पुलिस आ गयी , निशांत अभी भी चिल्ला रहा था , प्यार करता हूँ तुमसे।
तभी पुलिस हवलदार ने निशांत की गर्दन पकड़ी और पुलिस जीप में डाला और थाने ले गए। मधुमिता ने अपनी खिड़की से देख लिया था।
पुलिस स्टेशन गए तो इंस्पेक्टर ने , दो तीन चपत लगाई, समझाया और छोड़ दिया।
अब तो निशांत की बेरुखी और बत्तमीजी बढ़ने लगी , मधुमिता कहीं भी जाती , तो वो उसके पीछे चला आता , उसके सामने ही सिगरेट जला के पीने लगता , उसके कदमों में फ़ूलों की जगह , गुटखे की पीक होती , तोहफों की जगह धमकी होती के कोई और पास भी आया तो हड्डियां टूट जाएँगी उसकी।
होता भी कुछ ऐसा ही , कुछ लड़कों को तो उसने किडनैप तक करा लिया था , और इस शर्त पर छोड़ा था कि मधुमिता को वो भाभी कहेंगे।
मधुमिता अब 12 क्लास में आ चुकी थी और निशांत पैसे देके बारहवीं में आया था।
मधुमिता की सहेली अर्चना विनोद की बढ़िया दोस्त थी तो विनोद ने अर्चना को फ़ोन लगाया , अर्चना ने मधुमिता को फ़ोन दिया , तो निशांत ने हैलो कहा ,
देख तू मुझे सुधारना चाहती है और मैं बिगड़ना , मैं नहीं चाहता की कोई मुझे सुधारे , मैं ऐसा ही हूँ , हाँ हो सकता है कि तेरे साथ रहूँ तो सुधर जाऊँ पर वो भी मुश्किल ही है।
वैसे ये मधुमिता का मतलब क्या है ?
मधुमिता ने फ़ोन रख दिया और रोने लगी। उस रात वो बहुत रोई , कारण सिर्फ उसका मन जानता था , ऐसा नहीं था कि निशांत उसे कभी पसंद ही नहीं आया पर उसका बर्ताव हमेशा ही डरा देने वाला।
मधुमिता को याद है वो दिन जब , उसने कुछ लड़कों से कहा था की निशांत को जा के मारे , लड़के गए , निशांत को उठाया , और रेलवे लाइन पर लिटा दिया और मारने लगे , वो तो विनोद था जिसने उसको बचा लिया वरना निशांत तो इश्क में परवाना बन ही गया था।

निशांत जब ठीक हुआ और हॉस्पिटल से निकला तो वो लड़के हॉस्पिटल में भर्ती हुए , जिन्होंने निशांत को मधुमिता के कहने पर मारा था।
वैसे लड़ाई झगडे में सबसे ज़्यादा लड़ाई , लड़की की वजह से होती है पर कहा ये भी जाता है कि लड़की के मामले में कभी टांग मत लड़ाना बहुत भारी होता है।

अर्चना अगले दिन विनोद से मिली और उसको एक लेटर दिया कहा निशांत को दे देना , मधुमिता का है।
विनोद तुरंत निशांत के पास गया , उसने वो लेटर निशांत को दिया कहा मधुमिता ने दिया है।

“निशांत,

मैं जानती हूँ कि तुम्हें पढ़कर तो अच्छा नहीं लगेगा पर , मुझे फर्क नहीं पड़ता कि तुमको अच्छा लगे या बुरा , तुमने मेरी ज़िन्दगी नरक बना दी है , मैं पढ़ना चाहती हूँ , डॉक्टर बनने का मेरा सपना है , मैं तुम्हें पसंद करती थी पर तुम्हारी हरकतों , बातों से दिल टूट जाता था मेरा , और इसलिए आज मैं रांची शहर छोड़ कर जा रही हूँ , मेरा सपना है जो मेरा इंतज़ार कर रहा है , मुझे वो पूरा करना है , एक दिन आऊँगी मैं यहाँ , देखो फिर मुलाकात हो हमारी , उम्मीद करती हूँ कि तब तक तुम सुधर जाओ। मेरा नाम एक बंगाली मिठाई के ऊपर है , जो बहुत मीठी होती है।

मधुमिता ”

निशांत ने लेटर पढ़ा और बोला सुधर जाओ , साला बस यही बोलती रही पर मैं नहीं सुधरने वाला , जब तक वो हमारी लाइफ में नहीं है।
मधुमिता एक मिठाई है साला , वो तुरंत एक बंगाली स्वीट हाउस गया और बोला एक मधुमिता का पीस , दुकानदार ने मधुमिता का पीस निशांत को दिया , निशांत ने मिठाई खायी और खाते ही उसके मीठे स्वाद में खो गया जैसे मधुमिता खुद उसके पास आ गयी हो।
बहुत मीठा और मस्त है बे , उसने दुकान में जितनी भी मधुमिता मिठाई थी सब पैक करवा ली।

समय बीता तो निशांत ने चुनाव लड़ा , जीता , और साथ में बना वो दादा निशांत यानी कि गुंडा , अच्छे कामों वाला गुंडा , बुरे काम करने वाले सारे उसके दुश्मन पर कोई हिम्मत नहीं करता था कि कुछ बोल सके , और इसी दुश्मनी की वजह से आज निशांत हॉस्पिटल में गोली खाये पड़ा है।

शहर में जितने भी मिठाई वाले हैं निशांत ने सबको , मधुमिता मिठाई बनाने से मन किया है , केवल एक किलो मिठाई बनती है शहर में जो सिर्फ निशांत के लिए होती है।
क्योंकि निशांत का कहना है , मधुमिता सिर्फ उसकी है।
जब निशांत 40 साल का हुआ तो उसे किसी ने बताया , दादा सिटी हॉस्पिटल में कोई डॉक्टर मधुमिता सेन आई हैं।
निशांत ने सुनते ही गाड़ी निकाली और सिटी हॉस्पिटल पहुंचा , वहाँ देखा कि सफ़ेद कोट पहने एक बड़ी सी बिंदी माथे पर लगाये , लाल सिल्क की साड़ी पहने एक औरत खड़ी है।
कद उतना ही है , होंठ वैसे ही हैं और चेहरे पर अभी भी ख़ूबसूरती है , उसने करीब जाने की कोशिश की पर गया नहीं। हिम्मत नहीं हुई उसकी।
एक दिन निशांत, अरे दादा निशांत है अब तो , चोट लगी तो पहुंचा वो , डॉक्टर मधुमिता के पास , तो डॉक्टर मधुमिता मुस्करा कर बोली अभी तक नहीं सुधरे।

निशांत एक पल को तो सोचता ही रह गया, वो बोला , तुमने , पहचान लिया मुझे मधु।
हाँ , पहचान लिया। तब भी सबसे बड़े गुंडे थे तुम मेरे लिए और आज तो हो ही। मधुमिता ने कहा।
क्या मधु तुम भी , अब तुम्हारा सपना पूरा हो गया है , अब नहीं करने वाला मैं परेशान , अब मैं यहीं आया करूँगा , तुमसे मिलने , पूरे 22 साल हो गए हैं।
तुम्हारी तो शादी हो गई होगी न , क्या करते हैं वो? निशांत ने पूछा।

मधुमिता थोड़ी देर चुप रही और फिर बोली के नहीं करी मैंने शादी।
क्यों क्या हुआ ? निशांत ने फिर पूछा।
मैं रांची आने का इंतज़ार कर रही थी, पर अब लगता है वो भी बेकार रहा, मधुमिता ने कहा।
क्यों , अब तो तुम डॉक्टर हो गई हो। निशांत ने कहा , जैसे उसे समझ ही न आया हो मधुमिता क्या कहना चाह रही है।
तुम नहीं समझोगे , क्योंकि तुम अभी तक नहीं सुधरे , सुधर जाओ। मधुमिता ने कहा और कमरे में एक शांती हो गयी थी , जैसे शाम रात से मिलती है , वैसी ख़ामोशी।

सुधर जाओ, अभी डॉक्टर मधुमिता ये सारे पल सोच ही रही थी के ऑपरेशन थिएटर में डॉक्टर मोहित ने निशांत को एनेस्थीसिया का इंजेक्शन दे दिया।
डॉक्टर मोहित ने कहा , मधुमिता लेट्स स्टार्ट दिस , निशांत को बचाना होगा।
मधुमिता यादों की किताब से बाहर आई और बोली हाँ , इसको सुधारना ही होगा , खुद से नहीं सुधरा है ये तो मुझे ही सुधारना होगा , मधुमिता अपने मास्क के नीचे रोती रही और निशांत के जिस्म की चमड़ी में से गोलियां निकालती रही।
कुछ घंटों के ऑपरेशन के बाद , मधुमिता ने विनोद से कहा , अब ठीक है वो हालत में सुधार है, पर कमज़ोरी है।

दो दिन बाद जब मधुमिता मिलने आई निशांत से तो सारे लोग कमरे के बाहर चले गए जैसे निशांत के चाहने वाले , जानते हो उनके रिश्ते के बारे में।
निशांत मधुमिता को देख मुस्कुराया।
मधुमिता बोली सुधर रहे हो।
निशांत बोला , हाँ तुमने सुधार ही दिया मुझे आखिरकार , कहा था न मैंने , तुम पास आओगी तभी सुधर पाउँगा मैं।
दोनों एक दूसरे को देख मुस्कुराने लगे और आँखों में आँसू , बहने लगे , जैसे समझ गए हों मन की बात क्या है ?
निशांत ने कहा मैं सुधर गया हूँ , शादी करोगी मुझसे ?
मधुमिता ने कहा हाँ करूंगी , हॉस्पिटल है ये , सुधर जाओ निशांत।

बस इतनी सी थी ये कहानी।

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